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“For there is but one essential justice which cements society, and one law which establishes this justice. This law is right reason, which is the true rule of all commandments and prohibitions. Whoever neglects this law, whether written or unwritten, is necessarily unjust and wicked.”

OUR MISSION

सभी लोग एक समान और स्वतंत्र पैदा हुए हैं।  सभी के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए। सभी कानून के समक्ष समान है। सभी के अधिकार कानून द्वारा संरक्षित हैं।  केयर बी4 क्योर के गठन द्वारा लोगो को विधि एवं विधिक प्रक्रिया की जानकारी दी जाती है, जिससे लोगो में कानून की समझ पैदा  करके कानून के प्रति भय को समाप्त किया जा सके।

OUR VISION

हमारी संस्था का गठन लोगों को कानून व न्यायिक प्रक्रिया का ज्ञान देने के लिए किया गया है! लोगों को कानून व न्यायिक प्रक्रिया का ज्ञान होगा तो लोग सामाजिक एवं आर्थिक अव्यवस्था की पीड़ा से बच सकेंगे, तथा  अधिवक्ताओं को भी कानून में न्यायिक प्रक्रिया का समग्र ज्ञान होगा तो वह लोगों को प्रताड़ना से बचा सकेंगे ह 

HOW WE WORK

हम मनुष्य समाज में व्याप्त आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्थाओं को विधि एवं न्याय प्रक्रिया की जागरूकता एवं जानकारी के माध्यम से व्यवस्थित करना चाहते हैं जिससे कि लोग शांति व सद्भाव से जीवन यापन कर सकें

Upcoming Events

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Leading Judgments

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बहू को बाहर निकालने के लिए वरिष्ठ नागरिक अधिनियम का उपयोग नहीं कर सकते | -सर्वोच्च न्यायालय

 प्रकरण मे बहु को सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत डिक्री में माध्यम से घर से निकल दिया गया बहु ने घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम  के तहत घर में रहने के आदेश चाहे जब निचली अदालतों में कोई  संरक्षण  प्राप्त नहीं हुआ तो मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय  तक पंहुचा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने

सिद्धांत प्रतिपादित कर दिया है की घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम  के तहत आदेश  सीनियर सिटीजन एक्ट के ऊपर प्रभावी हो गया। 

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भरण  - पोषण के लिए अब देना होगा आय व्यय व संपत्ति का विवरण

एक महत्वपूर्ण, निर्णय में, सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक मामलों में गुजारा भत्ता के भुगतान पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि सभी मामलों में गुजारा भत्ता आवेदन दाखिल करने की तारीख से ही अवार्ड किया जाएगा। "गुजारा भत्ता के आदेशों के प्रवर्तन / निष्पादन के लिए, यह निर्देशित किया जाता है कि गुजारा भत्ता का एक आदेश या डिक्री हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 की धारा 28 ए, डीवी अधिनियम की धारा 20 (6) और सीआरपीसी की धारा 128 के तहत लागू किया जा सकता है, जैसा कि लागू हो सकता है। सीपीसी के प्रावधानों, विशेष रूप से धारा 51, 55, 58, 60 के साथ आदेश XXI " के पढ़ने के अनुसार, सिविल कोर्ट के एक मनी डिक्री के रूप में गुजारे भत्ते के आदेश को लागू किया जा सकता है।"

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चार दीवारी के भीतर कही बात पर नहीं लगता ST-SC ACT

किसी भी अनुसूचित जाती या जनजाति के व्यक्ति को लेकर घर के भीतर कही कोई अपमान जनक बात जिसका कोई गवाह  ना हो वह अपराध नहीं हो सकता ! सार्वजानिक स्थान और ऐसे  स्थान जंहा पर लोगो की मौजूदगी हो वंही पर की गयी अपमान जनक बातें अनुसूचित जाती एवं जनजाति उत्पीड़न रोकथन अधिनियम की सेक्शन3(1)(r)  के तहत अपराध की श्रेणी में आएगा !

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ज़मानत देना एक नियम है और जेल अपवाद : हाईकोर्ट को दिलाया याद सुप्रीम कोर्ट ने

ज़मानत यांत्रिक तरीक़े से न तो दी जानी चाहिए और न ही इससे इंकार की जानी चाहिए क्योंकि एक व्यक्ति की स्वतंत्रता से यह जुड़ा हुआ है। इस मामले की विचित्र परिस्थिति यह है कि इसको दो बार बंद किया गया, हाईकोर्ट को सिर्फ़ इसलिए ज़मानत से इंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि निचली अदालत ने अभी इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है। फिर, गवाहों की जाँच दूसरी रिपोर्ट की स्थिति पर निर्भर करेगा। अपीलकर्ता के ख़िलाफ़ जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं उसकी प्रकृति को देखते हुए और हिरासत में उसने जो समय बिताया है उसे देखते हुए हम इस बारे में आश्वस्त हैं कि उसे तत्काल ज़मानत दे दी जानी चाहिए।"

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Hathras Case

हाथरस मामला: बलात्कार साबित करने के लिए शुक्राणु की उपस्थिति जरूरी नहीं; यूपी पुलिस कानून के विपरीत दावा !

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वेश्यावृत्ति अपराध नहीं : BHC

 

"वेश्यावृत्ति अपराध नहीं; वयस्क महिला को अपना व्यवसाय चुनने का अधिकार", बॉम्बे हाईकोर्ट ने 3 यौनकर्मियों को सुधारक संस्था से रिहा करने का आदेश दिया

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A low is something which must have a  moral basis , so that there is an Inner  compelling force for every citizen to obay.

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