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भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code)

Updated: Oct 17, 2020

Chapter - 1


प्रस्तावना


+ अपराध तथा समाज का संबंध अनादि काल से रहा है

+ समाज को अपराधियों से बचाने के लिए दंड का प्रावधान किया गया ।समाज को + अपराधियों से बचाने के लिए दंड का प्रावधान किया गया ।

+ सभी समाज में दंड का एक महत्वपूर्ण स्थान है।

+ शांति तथा सुरक्षा से समाज को संरक्षित करने के लिए दंड राज्य द्वारा निर्धारित किया गया है।

+ प्रथम विधि आयोग की स्थापना 1834 में की गई।

+ लार्ड मैकाले द्वारा इसका नेतृत्व किया गया।

+ 06 अक्टूबर 1860 को संहिता पारित हुआ।

+ 01 जनवरी 1862 में लागू की गई।





अपराध के आवश्यक तत्व;-


= मानव

= अपराधिक आशय

= आपराधिक कृत्य

= मानव की क्षति


धारा 1 - संहिता का विस्तार

- संपूर्ण भारत में


धारा 2 -भारत के भीतर किए गए अपराधों का दंड।


धारा 3 - भारत से परे किंतु उसके भीतर विचारणीय अपराधों का दंड।


धारा 4 - भारतीय नागरिक द्वारा भारत के बाहर किया गया अपराध।

- भारत में पंजीकृत किसी पोत या विमान पर किया गया अपराध

- किसी कंप्यूटर साधन को लक्ष्य बनाते हुए किया गया अपराध।


धारा 5 - सैन्य न्यायालय द्वारा दंड देने पर रोक नहीं होगी


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