यूं तो हर जीव समूह, संगठन में रहता है। जीव की उत्पत्ति ही पंच तत्वों के संघटको से हुई है। प्रकृति का निर्माण ही इस प्रकार हुआ है कि हर जीव को समूह में रहना पड़ता है। कारण यह है कि जीवों को अपने अस्तित्व की रक्षा करने के लिए अन्य जीवों का भक्षण करना पड़ता है।
ऐसे में अगर समान प्रजाति के जीव समूह में नहीं रहेंगे तो उनका अस्तित्व समाप्त होने की पूरी संभावना होती है।
यहां एक प्रसंग को कोट करना आवश्यक लग रहा है। जंगल में एक गाय बच्चे को जन्म दे रही है। उसे प्रसव के दर्द को भी सहन करना है, तथा अन्य जानवरों से अपने बच्चे को बचाना भी है। यह बड़ी भयावह स्थिति होती है।
इन सभी कारणों से मनुष्यों में स्त्री पुरुष मिलकर परिवार का जन्म हुआ जहां कि बच्चों का जन्म तथा उनका संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
इस प्रकार अपना घर बसाना, रोटी कपड़ा और मकान तथा अन्य भावनात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अन्य मनुष्यों पर निर्भरता बढ़ती गई।इस बढ़ती निर्भरता ने मुद्रा को जन्म दिया।
अब सभी मनुष्यों को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मुद्रा की आवश्यकता होती है।वह अन्य मनुष्य की सेवा मात्र से ही प्राप्त हो सकती है। अब जब हम अन्य मनुष्यों की सेवा की बात करते हैं, तो हमें यह देखना होता है कि अन्य मनुष्यों की क्या-क्या आवश्यकताएं हैं, और उन में से कौनसी हम पूरी कर सकते हैं, जिसके बदले हमें मुद्रा प्राप्त हो सके। ऐसी अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मनुष्य समाज में अनेक समूह संगठन या कंपनी कार्यरत हैं, जो कि मनुष्य की अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति कर मुद्रा अर्जित करते हैं।
ये संगठन अपने कार्यों के संचालन के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं। अनेक लोग इनसे जुड़ने में अपने जीवन का अमूल्य समय लगाकर भी इन संगठनों का हिस्सा नहीं बन पाते ।
मनुष्य में आपसी विवाद उत्पन्न होना और उनका समाधान करना यह आवश्यकता भी विकास के साथ बढ़ती जा रही है।
विवादों के समाधान के लिए बहुत समय पूर्व ही पंचों की आवश्यकता हुई। परिवार के मुखिया, समाज के मुखिया, गांव के मुखिया आदि, लोगों के विवादों के निपटारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। फिर यह कार्य राजा द्वारा किया जाने लगा।
धीरे-धीरे अलग न्याय व्यवस्था की मांग हुई तथा पूरे विश्व में स्वतंत्र न्याय व्यवस्था विद्यमान है, जो कि लोगों के विवादों का निपटारा करती है। जो लोग समाज के लिए घातक हैं, उन्हें यह दंडित करती है।
इसी प्रक्रिया में कानूनी शिक्षा प्रदान करने के लिए अध्ययन की व्यवस्था की गई। कानून की पढ़ाई कर हम में से कुछ लोग न्यायाधीशों की संगठन का हिस्सा बनने में सफल हो गए। कुछ लोगों ने सरकारी वकील बन व कुछ ने कई निगमों कंपनियों ,बैंक आदि के अधिवक्ता बन संगठन का हिस्सा बन गए,
लेकिन जो लोग इन सब संगठनों का हिस्सा नहीं बन पाए उन्हें स्वतंत्र रूप से अपना कार्य करना पड़ रहा है । उनके लिए ग्राहक पाना व संपूर्ण कानूनी ज्ञान उनकी याददाश्त में होना बहुत मुश्किल कार्य है।
इसी को मद्देनज़र रखते हुए कुछ अधिवक्ताओं के कल्याण उनको फिंगर टिप पर कानूनी ज्ञान उपलब्ध कराने , उन्हें ग्राहक उपलब्ध कराने के लिए केयर बी4 क्योर संस्था/ संगठन का गठन हुआ है।
संगठन सामान्य जीवन जीने के लिए आवश्यक है तो हमें सम्मान पूर्ण रोजगार के लिए संगठन अति आवश्यक है। किसी बढ़ते हुए संगठन के आप सदस्य हैं तो यह आप की शक्ति बढ़ाने में उपयोगी है। जो कि आपकी रोजगार वृद्धि के साथ शांतिपूर्ण जीवन में मदद करेगा।
आप बिना संगठन के कार्य कर रहे हैं तो आपको एक बस के ड्राइवर व कंडक्टर का काम एक साथ करना पड़ता है जिसमें दुर्घटना की पूरी संभावना होती है। इस संभावना से भी संगठन बचाने में मदद करता है।
समाज के सभी अंगों से पीड़ित लोगों को राहत व प्रताड़ना से मुक्ति के लिए प्रयास कर संगठन लोगों के कल्याण के लिए गठित किया गया है। संस्था के सदस्यों के लिए यह कल्याणकारी
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